Ad Code

Objective questions

1▪️ मुद्रास्फीति जनित मंदी को किस तरह से परिभाषित किया जाता है?

(1) कम महंगाई, कम वृद्धि, कम बेरोजगारी

(2) उच्च महंगाई, कम वृद्धि, उच्च बेरोजगारी

(3) उच्च महंगाई, उच्च वृद्धि, उच्च बेरोजगारी

(4) कम महंगाई, उच्च वृसि, कम बेरोजगारी

यह इकोनॉमी की वह अवस्था है, जिसमें आर्थिक तरक्की की रफ्तार घाट जाती है और बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई भी उच्च स्तर पर रहती है। इसे 1960 के दशक तक मान्यता नहीं मिल पाई थी। पहली नजर में महंगाई और बेरोजगारी का ऊंचा लेवल या धीमे विकास की स्थिति एक तरह से एक-दूसरे के विपरीत नजर आते हैं। लेकिन 1970 के दशक में ऐसी ही स्थिति बनो धो तब इकोनॉमिक प्रॉडक्टिविटी काफी घट गई थी। इस दौरान बेरोजगारी के ऊँचे लेवल पर होने के साथ-साथ महंगाई भी ज्यादा थी।

स्टैगफ्लेशन (Stagflation) टर्म का इस्तेमाल सबसे पहले 1965 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में लेन मैकलॉयड द्वारा किया गया था।


2▪️ विशेषताओं का उनकी बाजार संरचना के साथ मिलान करें

(a) कठिन प्रवेश (अक्सर पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण)

(b) बाजार मूल्य पर ज्यादा-से-ज्यादा बेच सकते हैं!


1.(a) एकाधिकार प्रतियोगिता

   (b) विशुद्ध एकाधिकार

2.(a) विशुद्ध एकाधिकार, (b) अल्पाधिकार

3.(a) अल्पाधिकार, (b) विशुद्ध प्रतियोगिता 

4.(a) विशुद्ध प्रतियोगिता, (b) अल्पाधिकार

कठिन प्रवेश - अल्पाधिकार बाजार मूल्य पर ज्यादा-से-ज्यादा बेच सकते है-विशुद्ध प्रतियोगिता में।


3▪️ एक बीड़ी बनाने के कारखाने में उन्हें प्रतिदिन १ 300 का भुगतान करके 5 महिलाओं को रखा जा सकता है। 6वीं महिला प्रतिदिन १ 350 की माँग करती हैं। यदि इस औरत को काम पर रखा जाता है तो अन्य सभी महिलाओं को भी ₹350 का भुगतान किया जाना चाहिए। छठवीं महिला की सीमान्त संसाधन (श्रम) लागत है

(2) 50    (4) 100  (1) 600  (3) 300


छठवीं महिला की सीमान्त संसाधन लागत

=6x350-5x300-2100-1500% 3600


4.) माँग का कानून कहता है कि

(1) यदि एक वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, तो उस वस्तु की मांग कम हो जाती है।

(2) यदि एक वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, तो उस वस्तु की मांग में वृद्धि होती है।

(3) यदि एक वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, तो उस वस्तु की मांग की गई मात्रा कम हो जाती है।

(4) यदि एक वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, तो उस वस्तु की मांग की गई मात्रा में वृद्धि होती है।

 सूक्ष्म अर्थशास्त्र में मांग का कानून कहता है। कि "बाकि सभी पहलुओं को वरावर रखते हुए, किसी वस्तु की कीमतों का गिरना, उसकी माँग को बढ़ा देता है तथा किसी वस्तु की कीमतों का उठना, उसकी माँग को गिरा देता है।" दूसरे शब्दों में, माँग का कानून मूल्य और मात्रा के बीच एक व्युत्क्रम सम्बन्ध का वर्णन करता है, जो किसी वस्तु के लिए होता है। वस्तु का दाम और उपभोक्ता की आय की कीमतों को स्थायी माना जाता है। हालांकि, मांग के कानून के कुछ सम्भावित उपवाद हैं; जैसे-गिफेन वस्तुएँ और वीब्लेन चस्तुएं।







एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ